ओ अक्सर ही अपने जज्बातों को गुलाबों की शक्ल देकर किताबों में छुपा लेते हैं ।शायद उन्हें पता नही दीवारों के कान ही नही आँखें भी हुआ करती हैं इस ज़माने में ।। March 23 2017