ओ अक्सर ही अपने जज्बातों को गुलाबों की शक्ल देकर किताबों में छुपा लेते हैं ।शायद उन्हें पता नही दीवारों के कान ही नही आँखें भी हुआ करती हैं इस ज़माने में ।। March 23 2017 Read more
किताबों में नही मिलता है ज़िक्र दर्द-ए-दिल की दवा का । कोई हकीम भी नही मिलता जबसे तबियत नाशाद हुई मेरी ।। March 22 2017 Read more
हद हो या सरहद एक दिन पार हो ही जाती है । मेरे इश्क़ में वो नशा है ओ बीमार हो ही जाती है ।। March 20 2017 Read more
रब क्या जाने मोहब्बत में कितने जख्म झेले हैं हमने । कभी इश्क़ करके देखेगा तो पहचन जायेगा ।। March 20 2017 Read more
ओ अक्सर ही पूँछ लिया करते हैं हाल दिल का । जो नजरों के वार से घायल बना गये ।। March 20 2017 Read more